My Followers

Saturday 26 November 2016

श्रद्धांजलि...?

श्रद्धांजलि...?

तुमने पिता खोया है…
और तुमने पति…
मैंने खोया है क्या…
पता है तुम्हे…?
खोया है मैंने…
पिता भी…पति भी…
एक रक्षक…पथ प्रदर्शक…
एक दोस्त भी…मैंने खोया है…!
जानता हूँ मैं….कि…
विलाप तुमने किया था…
किन्तु हूक जो उठ रही है…
वो मेरे दिल की आवाज है…सुनो तुम…
तुम ही रोई थी…आंसू भी बहाए थे तुम्ही ने…
किन्तु जख्म मेरी आँखों के…
आज भी हरे हैं…!
आह भी नहीं भर सकता हूँ…
रो भी नहीं सकता…
हाँ पुत्र बन कभी…कि कभी पुत्री…
या कि बनकर जीवन संगिनी उसकी…
कभी शिष्य…
तो कभी दोस्त बनकर…
भावनाओं की श्रद्धांजलि जरुर दे सकता हूँ उसे…
यही मेरे प्यार के श्रद्धा सुमन हैं...

- अनामिक...!

No comments:

Post a Comment